होम / नागरिक चक्रम भाग 3 : फर्ज
सब लोग समान हैं, यह याद कर क्‍यों दु:खी हो गया चक्रम?

नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। उसके मन में तमाम प्रश्न और दुविधाएं हैं। वह यथास्थिति को स्वीकार नहीं कर लेता बल्कि मन में उठ रही दुविधाओं और प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है। चक्रम कोई काल्पनिक चरित्र नहीं है। उसका वजूद है और जरूर है। जब हम अपने भीतर के समाज और व्यवस्था को जानने लगते हैं, तब चक्रम का जन्म होता है। नागरिेक चक्रम की यह शृंखला एक किशोर के नागरिक बनने की कहानियां हैं।

Similar Posts

  • संविधान और हम-4 : संविधान की उद्देशिका

    संविधान की उ‌द्देशिका में विशाल भारतीय संविधान का सार तत्व संग्रहित है। यह उन उ‌द्देश्यों का उल्लेख करता है जिन्हें प्राप्त करने के लिए हम प्रयासरत हैं। संविधान की उद्देशिका से परिचय गहरा करवाने का प्रयास है यह एपिसोड।

  • कथानक निर्माण के दौर में एआई और मनुष्‍यता पर संकट

    विकास संवाद द्वारा आयोजित 17 वें नेशनल कान्‍क्लेव में चर्चित लेखक और न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अजय सोडानी ने ‘कथानक निर्माण के दौर में मनुष्यता: एचआई बनाम एआई’ विषय पर संवाद किया। मनुष्‍यता पर मंडरा रहे आधुनिक संकट को समझने के लिए यह व्‍याख्‍यान बेहद महत्‍वपूर्ण कड़ी है।

  • क्यों जरूरी है संविधान निर्माण की समझ?‌

    आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। संविधान दिवस यानी 26 नवंबर का दिन। सन 1949 में आज ही के दिन हमने अपने संविधान को अपनाया था। वही संविधान जो वर्षों तक चली बैठकों, सघन बहसों और वाद-विवाद के बाद हमारे सामने आया था।

  • वाजिब थीं जयपाल सिंह मुंडा की शिकायतें

    देश की आज़ादी की लड़ाई के दौर में जहां देश और समाज के सभी प्रमुख मुद्दों पर खुलकर बात की जा रही थी वहीं आश्चर्य की बात है कि आदिवासियों को लेकर बहुत कम बातचीत या विमर्श हो रहा था। भारत को ओलंपिक में हॉकी का पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम के कप्तान रहे आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने इस विषय पर संविधान सभा में जो कुछ कहा वह एक कड़वी हकीकत है।

  • देश का विभाजन, संविधान और नेहरू

    ऐतिहासिक प्रमाणों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत उस दौर के सभी प्रमुख नेता भारत के विभाजन को टालना चाहते थे। परंतु हालात के मुताबिक वे सभी इसे लेकर अलग-अलग नज़रिया भी रखते थे। कुछ मसलों पर न तो सहमति बन पा रही थी और न ही असहमति। मुस्लिम लीग को स्वतंत्र भारत में सरकार बनाने का आमंत्रण भी ऐसा ही एक मसला था।

  • संविधान और हम-2: संविधान निर्माण की प्रक्रिया का संदर्भ

    ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया से लेकर महत्‍वपूर्ण प्रावधानों और उसमें हुए संशोधनों का लेखा जोखा। इस अंक में प्रस्‍तुत है संविधान निर्माण की प्रक्रिया का सिलसिलेवार संदर्भ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *