होम / संविधान संवाद: यात्रा, अनुभव और अभिव्‍यक्ति

संविधान संवाद फैलोशिप 2022-25 की यात्रा अनुभव

मेंटर्स, पत्रकार और वकील फेलो की अभिव्‍यक्ति

संवैधानिक मूल्‍यों के बोध, चेतना के विकास और इन्‍हें आत्‍मसात करने के लिए विकास संवाद ने ‘संविधान संवाद’ कार्यक्रम आरंभ किया है। इसके तहत 2022 से 2025 तक ‘संविधान संवाद फैलोशिप’ प्रदान की है। इस यात्रा के सहभागी रहे मेंटर्स, मार्गदर्शक और 48 पत्रकारों व 12 वकील फेलो ने अपने अनुभवों को आलेख और रिपोर्ट में अभिव्‍यक्‍त किया है। ‘हमारा सफर: यात्रा, अनुभव और अभिव्‍यक्ति’ एक समृद्ध यात्रा का दिलचस्‍प दस्‍तावेज है। इस यात्रा के हर पड़ाव पर सीख और अनुभव की एक प्रेरक कहानी है।

Similar Posts

  • चुनाव रिपोर्टिंग और संवैधानिक मूल्य

    सवाल उठता है कि चुनाव‍ रिपोर्टिंग को क्या संवैधानिक मूल्यों के हिसाब किया और परखा जा सकता है? क्या यह संभव है और नैतिक दृष्टि से यह कितना जरूरी है? खासकर तब कि जब चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से उसके समाप्त होने का पूरा ताना बाना आजकल बाजार की शक्तियों से संचालित होने लगा है।

  • संविधान और हम-1 भारतीय संविधान: ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ

    भारतीय संविधान को जानने,मानने और अपनाने के लिए ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया से लेकर महत्‍वपूर्ण प्रावधानों और उसमें हुए संशोधनों का लेखा जोखा।

  • बौद्ध धर्म की दृष्टि में संवैधानिक मूल्‍य

    बाबा साहेब अम्बेडकर संवैधानिक मूल्यों के माध्यम से एक सामंजस्यपूर्ण भारतीय राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे। उन्हें अहसास था कि यदि समाज के अंतर्निहित विरोधाभासों से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा गया तो संविधान के उच्‍च आदर्श अधूरे रह जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *