होम / नागरिक चक्रम भाग 7: ऊंची अदालत
चक्रम ने जाना कि किसी भी समस्या का समाधान पाने में अदालत हमारी मदद करती है।

जब भी चक्रम देश का नक्शा देखता, तब उसे उसमें केवल प्रदेशों की सीमाएं नहीं दिखतीं। उसे देश के नक़्शे में हज़ारों-लाखों सीमा रेखाएं दिखतीं। ये सीमाएं थीं आर्थिक विभाजन की, सामाजिक विभाजन की, लैंगिक विभाजन की, भौगोलिक विभाजन की; लेकिन उसने अपने गांव में विभाजन की सीमारेखा को पहचाना और उसे मिटाने के लिए न्यायपालिका का रुख किया; कैसे? आइये पढ़ते हैं नागरिक चक्रम की इस कहानी में।

Similar Posts

  • संविधान और हम-5 : मौ‍लिक अधिकार

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है। भारतीय संविधान के गहन अध्ययनकर्ता मैनविल आस्टिन ने लिखा है, “ऐसा लगता है कि मूल अधिकारों ने भारत में एक नई समानता का सृजन किया है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में सहायता की है।”

  • वाजिब थीं जयपाल सिंह मुंडा की शिकायतें

    देश की आज़ादी की लड़ाई के दौर में जहां देश और समाज के सभी प्रमुख मुद्दों पर खुलकर बात की जा रही थी वहीं आश्चर्य की बात है कि आदिवासियों को लेकर बहुत कम बातचीत या विमर्श हो रहा था। भारत को ओलंपिक में हॉकी का पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम के कप्तान रहे आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने इस विषय पर संविधान सभा में जो कुछ कहा वह एक कड़वी हकीकत है।

  • नागरिक चक्रम भाग 11: भूमिका

    नागरिक चक्रम की कहानियां एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • संविधान सभा में डॉ. अम्बेडकर का अंतिम संबोधन

    डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि वह यह नहीं कहते कि संसदीय लोकतंत्र का सिद्धांत राजनीतिक लोकतंत्र के लिए एकमात्र आदर्श व्यवस्था है। संविधान सभा में हुई सार्थक चर्चाओं को लेकर अम्बेडकर की राय हमें जरूर यह बताती है कि वह इस व्यवस्था के हामी थे।

  • नागरिक चक्रम भाग 1: ध्‍यान-बेध्‍यान

    नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *