होम / नागरिक चक्रम भाग 13: प्रतिस्पर्धा नहीं स्पर्धा
चक्रम ने जाना की किसी भी काम को करने में दुसरो से स्पर्धा करना और यह भूल जाना की काम कैसे किया जाना है बहुत महत्वपूर्ण होता है

कुछ लोग होते हैं, वे अपना काम सबसे अच्छा करना चाहते हैं। उसमें कोई कमी नहीं रह जाना चाहिए। अगर खेलेंगे भी तो उसमें केवल जीत ही होनी चाहिए और कुछ नहीं। अपने काम को सबसे अच्छा साबित करना अच्छी बात हो सकती है; लेकिन ऐसे में अक्सर यह भुला दिया जाता है कि काम किस तरीके से किया जा रहा है या नहीं? काम के परिणाम से कई बार ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता यह सोचना कि काम किस तरीके से किया गया? इसका मतलब समझते हैं नागरिक चक्रम की कहानी में।

Similar Posts

  • कथानक निर्माण के दौर में एआई और मनुष्‍यता पर संकट

    विकास संवाद द्वारा आयोजित 17 वें नेशनल कान्‍क्लेव में चर्चित लेखक और न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अजय सोडानी ने ‘कथानक निर्माण के दौर में मनुष्यता: एचआई बनाम एआई’ विषय पर संवाद किया। मनुष्‍यता पर मंडरा रहे आधुनिक संकट को समझने के लिए यह व्‍याख्‍यान बेहद महत्‍वपूर्ण कड़ी है।

  • चुनाव रिपोर्टिंग और संवैधानिक मूल्य

    सवाल उठता है कि चुनाव‍ रिपोर्टिंग को क्या संवैधानिक मूल्यों के हिसाब किया और परखा जा सकता है? क्या यह संभव है और नैतिक दृष्टि से यह कितना जरूरी है? खासकर तब कि जब चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से उसके समाप्त होने का पूरा ताना बाना आजकल बाजार की शक्तियों से संचालित होने लगा है।

  • नागरिक चक्रम भाग 10: बंधुत्व  

    नागरिक चक्रम की कहानियां एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • नागरिक चक्रम भाग 4: जाति

    नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • संविधान और हम-5 : मौ‍लिक अधिकार

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है। भारतीय संविधान के गहन अध्ययनकर्ता मैनविल आस्टिन ने लिखा है, “ऐसा लगता है कि मूल अधिकारों ने भारत में एक नई समानता का सृजन किया है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में सहायता की है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *