चक्रम ने जाना की समाज के कुछ लोग कैसे अति धार्मिकता और प्रेम जैसे शब्दों का सही मतलब नहीं समझ पाते जिसके कारण दुसरे लोगों को बी समस्याएँ हो सकते हैं
बच्चे तो बस गेंद से खेल रहे थे। गेंद किसी से छू गई। बस इतने में ही समाज की हर परत उधड़ कर सामने आ गई। कैसे किसी को उसकी जातीय पहचान का अहसास कराया जाता है, आइये देखते हैं नागरिक चक्रम की इस कहानी में।
