चक्रम ने समझा कि हम जो कुछ भी सीखते हैं, उसमें हमारे साथ आस-पास के लोगों का योगदान भी होता है।
यूं तो चक्रम बहुत समझदार है। वह एक अच्छा नागरिक है। लेकिन फिर भी जीवन जीने की तकनीकों को पूरी तरह से नहीं जानता है। इस बार उसने एक मंझे हुए चित्रकार की बात सुनी। उस बात से चक्रम को पता चला कि हम अपने आप में कितने ही कौशल संपन्न हों, लेकिन अधूरे होते हैं। आखिर हमें और हमारी रचना को कौन पूरा करता है? पढ़ते हैं नागरिक चक्रम की इस कहानी में।
