होम / नागरिक चक्रम भाग 8: चित्र एक चित्रकार अनेक

चक्रम ने समझा कि हम जो कुछ भी सीखते हैं, उसमें हमारे साथ आस-पास के लोगों का योगदान भी होता है।

यूं तो चक्रम बहुत समझदार है। वह एक अच्छा नागरिक है। लेकिन फिर भी जीवन जीने की तकनीकों को पूरी तरह से नहीं जानता है। इस बार उसने एक मंझे हुए चित्रकार की बात सुनी। उस बात से चक्रम को पता चला कि हम अपने आप में कितने ही कौशल संपन्न हों, लेकिन अधूरे होते हैं। आखिर हमें और हमारी रचना को कौन पूरा करता है? पढ़ते हैं नागरिक चक्रम की इस कहानी में।

Similar Posts

  • लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव, संविधान और नेहरू

    नेहरू जिस भारत का स्वप्न देखते थे, उसमें टुकड़ों में बंटे हुए भारत के लिए कोई जगह नहीं थी। उनके मन में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक एक भारत की छवि थी…

  • नागरिक चक्रम भाग 4: जाति

    नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • नागरिक चक्रम भाग 1: ध्‍यान-बेध्‍यान

    नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • बाइस जुलाई: तिरंगे को अपनाने का दिन

    भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को औपचारिक रूप से तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। 23 जुलाई को इसे पहली बार औपचारिक रूप से फहराया गया। राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण की पूरी कहानी बहुत दिलचस्प है। 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन के पहले देश की विभिन्न रियासतों और राज्यों के अपने-अपने ध्वज थे। विडंबना ही है कि संपूर्ण भारत को उसका पहला ध्वज साम्राज्यवादी अंग्रेजी शासन ने दिया। नीले रंग के इस झंडे में बांयी ओर ऊपर यूनियन जैक बना था जबकि दाहिने हिस्से के बीच में ब्रिटिश क्राउन में स्टार ऑफ इंडिया का चित्र बना था।

  • संविधान और हम-3 : संविधान निर्माण और संविधान सभा की बहसें

    भारतीय संविधान को जानने,मानने और अपनाने के लिए ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया का लेखा जोखा। संविधान सभा की बहस को जानना का उपक्रम है यह एपिसोड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *