संविधान और हम-5 : मौ‍लिक अधिकार

संविधान और हम-5 : मौ‍लिक अधिकार

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है। भारतीय संविधान के गहन अध्ययनकर्ता मैनविल आस्टिन ने लिखा है, “ऐसा लगता है कि मूल अधिकारों ने भारत में एक नई समानता का सृजन किया है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में सहायता की है।”

संविधान और हम-4 : संविधान की उद्देशिका

संविधान और हम-4 : संविधान की उद्देशिका

संविधान की उ‌द्देशिका में विशाल भारतीय संविधान का सार तत्व संग्रहित है। यह उन उ‌द्देश्यों का उल्लेख करता है जिन्हें प्राप्त करने के लिए हम प्रयासरत हैं। संविधान की उद्देशिका से परिचय गहरा करवाने का प्रयास है यह एपिसोड।

संविधान और हम-3 : संविधान निर्माण और संविधान सभा की बहसें

संविधान और हम-3 : संविधान निर्माण और संविधान सभा की बहसें

भारतीय संविधान को जानने,मानने और अपनाने के लिए ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया का लेखा जोखा। संविधान सभा की बहस को जानना का उपक्रम है यह एपिसोड।

संविधान और हम-2: संविधान निर्माण की प्रक्रिया का संदर्भ

संविधान और हम-2: संविधान निर्माण की प्रक्रिया का संदर्भ

‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया से लेकर महत्‍वपूर्ण प्रावधानों और उसमें हुए संशोधनों का लेखा जोखा। इस अंक में प्रस्‍तुत है संविधान निर्माण की प्रक्रिया का सिलसिलेवार संदर्भ।

संविधान और हम-1 भारतीय संविधान: ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ

संविधान और हम-1 भारतीय संविधान: ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ

भारतीय संविधान को जानने,मानने और अपनाने के लिए ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया से लेकर महत्‍वपूर्ण प्रावधानों और उसमें हुए संशोधनों का लेखा जोखा।

मैत्री की शिक्षा संभव, इसका विस्‍तार करना असली चुनौती

मैत्री की शिक्षा संभव, इसका विस्‍तार करना असली चुनौती

प्रख्यात शिक्षाविद अमन मदान ने विकास संवाद द्वारा आयोजित ‘बाल अधिकार मीडिया अवार्ड’ कार्यक्रम में ‘मैत्री की शिक्षा’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्‍होंने कहा, “मैत्री की शिक्षा संभव है लेकिन वास्तविक चुनौती इसकी शिक्षा की नहीं इसके विस्तार की है क्योंकि हमारा देश, समाज, संविधान और सारा विश्व मैत्री के मूल्य से ही संचालित हो सकता है।”

बौद्ध धर्म की दृष्टि में संवैधानिक मूल्‍य

बौद्ध धर्म की दृष्टि में संवैधानिक मूल्‍य

बाबा साहेब अम्बेडकर संवैधानिक मूल्यों के माध्यम से एक सामंजस्यपूर्ण भारतीय राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे। उन्हें अहसास था कि यदि समाज के अंतर्निहित विरोधाभासों से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा गया तो संविधान के उच्‍च आदर्श अधूरे रह जाएंगे।

Constitution, Society and Trust

Constitution, Society and Trust

It is the Constitution of India that renders a mandate to abide by the values of social harmony. It requires that the citizens, society, and the dispensation of governance occur from the pedestal of mutual trust with due regard to wider and common good for the nation.This book is an attempt to define the interrelationship.

संविधान, भरोसा और समाज

संविधान, भरोसा और समाज

देश और समाज के सुचारू रूप से काम करने के लिए यह आवश्यक है कि परस्पर विश्वास का माहौल हो। नागरिक और शासन व्यवस्था परस्पर एक दूसरे पर आश्रित हैं, और यह रिश्ता तभी फलदायी हो सकता है जब यह आपसी विश्वास की डोर से बंधा हो।