होम / नागरिक चक्रम भाग 2 : प्रतिक्रिया एवं देखना
बातों के सिरों को जोड़ें तो बनती है नई समझ

नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। उसके मन में तमाम प्रश्न और दुविधाएं हैं। वह यथास्थिति को स्वीकार नहीं कर लेता बल्कि मन में उठ रही दुविधाओं और प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है। चक्रम कोई काल्पनिक चरित्र नहीं है। उसका वजूद है और जरूर है। जब हम अपने भीतर के समाज और व्यवस्था को जानने लगते हैं, तब चक्रम का जन्म होता है। नागरिेक चक्रम की यह शृंखला एक किशोर के नागरिक बनने की कहानियां हैं।

Similar Posts

  • मैत्री की शिक्षा संभव, इसका विस्‍तार करना असली चुनौती

    प्रख्यात शिक्षाविद अमन मदान ने विकास संवाद द्वारा आयोजित ‘बाल अधिकार मीडिया अवार्ड’ कार्यक्रम में ‘मैत्री की शिक्षा’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्‍होंने कहा, “मैत्री की शिक्षा संभव है लेकिन वास्तविक चुनौती इसकी शिक्षा की नहीं इसके विस्तार की है क्योंकि हमारा देश, समाज, संविधान और सारा विश्व मैत्री के मूल्य से ही संचालित हो सकता है।”

  • नागरिक चक्रम भाग 1: ध्‍यान-बेध्‍यान

    नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • नागरिक चक्रम भाग 4: जाति

    नागरिक चक्रम की कहानियां दरअसल एक ऐसे किशोर की कहानियां हैं जो नागरिक बनने की प्रक्रिया में है। वह प्रश्नों के उत्तर खोजने की इच्छा भी रखता है।

  • कथानक निर्माण के दौर में एआई और मनुष्‍यता पर संकट

    विकास संवाद द्वारा आयोजित 17 वें नेशनल कान्‍क्लेव में चर्चित लेखक और न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अजय सोडानी ने ‘कथानक निर्माण के दौर में मनुष्यता: एचआई बनाम एआई’ विषय पर संवाद किया। मनुष्‍यता पर मंडरा रहे आधुनिक संकट को समझने के लिए यह व्‍याख्‍यान बेहद महत्‍वपूर्ण कड़ी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *