जानिए भारतीय संविधान की रचना प्रक्रिया
महात्मा गांधी ने कहा था, “लोग कहते हैं कि साधन तो साधन ही है। मैं तो कहता हूं कि साधन ही सबकुछ है। जैसे साधन होंगे, वैसा ही साध्य (परिणाम) होगा। सृष्टिकर्ता ने हमें साधनों पर ही सीमित नियंत्रण दिया है, साध्य पर तो कोई नियंत्रण दिया ही नहीं है। लक्ष्य उतना ही शुद्ध होता है, जितने हमारे साधन शुद्ध होते हैं। अगर हम हिंसा से स्वराज्य हासिल करेंगे तो वह भी हिंसापूर्ण ही तो होगा और दुनिया के लिए तथा खुद भारत के लिए भय का कारण सिद्ध होगा। गंदे साधनों से मिलने वाली चीज़ भी गंदी ही होगी, इसलिए राजा को मारकर राजा और प्रजा एक से नहीं बन सकेंगे। मालिक का सिर काटकर मजदूर मालिक नहीं हो सकेंगे।” महात्मा गांधी का यह वक्तव्य भारत की आजादी के साथ-साथ भारतीय संविधान के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पर भी सटीक ढंग से लागू होता है। भारतीय संविधान को देखकर यह जाना जा सकता है कि तत्कालीन भारतीय समाज और उसके बुद्धिजीवी कितने समझदार और परिपक्व थे। भारतीय संविधान के निर्माण की पृष्ठभूमि को समझने के बाद यह जरूरी है कि हम संविधान के निर्माण की, उसकी रचना की प्रक्रिया को समझें। हमारे संविधान के पीछे कितनी मेहनत हुई है और उसके प्रावधानों ने कैसे हमें एक सुरक्षित वातावरण दिया है, इसे जानने के लिए संविधान निर्माण की प्रक्रिया को जानना होगा।