होम / संविधान और हम-1 भारतीय संविधान: ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
भारतीय संविधान: ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ

भारतीय संविधान को जानने, मानने और अपनाने की प्रक्रिया के तहत ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया से लेकर महत्‍वपूर्ण प्रावधानों और उसमें हुए संशोधनों का लेखा जोखा।

Similar Posts

  • सबसे कटु दौर में लोकतांत्रिक और मूल्‍ययुक्‍त बना संविधान

    आर्थिक बदहाली, हिंसा, प्राकृतिक आपदाओं, सांप्रदायिक वैमनस्यता के तूफ़ान के बीच संविधान सभा के 250 से अधिक प्रतिनिधि, भारत के लिए ऐसा संविधान…

  • स्वतंत्र भारत का गांधीवादी संविधान

    श्रीमन नारायण अग्रवाल ने गांधी के रामराज्य को परिभाषित करते हुए लिखा है, ‘‘धार्मिक आधार पर इसे धरती पर ईश्वर के शासन के रूप में समझा जा सकता है। राजनीतिक तौर पर इसका अर्थ है एक संपूर्ण लोकतंत्र जहां रंग, नस्ल, संपत्ति, लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। जहां जनता का शासन हो। तत्काल और कम खर्च में न्याय मिले। उपासना की, बोलने की और प्रेस को आजादी मिले और यह सब आत्मनियमन से हो। ऐसा राज्य सत्य और अहिंसा पर निर्मित हो और वहां ग्राम और समुदाय प्रसन्न और समृद्ध हों।’’

  • संविधान और हम-3 : संविधान निर्माण और संविधान सभा की बहसें

    भारतीय संविधान को जानने,मानने और अपनाने के लिए ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया का लेखा जोखा। संविधान सभा की बहस को जानना का उपक्रम है यह एपिसोड।

  • देश का विभाजन, संविधान और नेहरू

    ऐतिहासिक प्रमाणों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत उस दौर के सभी प्रमुख नेता भारत के विभाजन को टालना चाहते थे। परंतु हालात के मुताबिक वे सभी इसे लेकर अलग-अलग नज़रिया भी रखते थे। कुछ मसलों पर न तो सहमति बन पा रही थी और न ही असहमति। मुस्लिम लीग को स्वतंत्र भारत में सरकार बनाने का आमंत्रण भी ऐसा ही एक मसला था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *