संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में मीडिया की भूमिका
कायदे से प्रेस स्वतंत्रता के मामले में भारत का नाम दुनिया के पहले पांच देशों में होना चाहिए था, लेकिन हो उलटा रहा है। हम 11 स्थान और नीचे चले गए हैं। प्रेस और प्रकारांतर से मीडिया की जुबान का इस तरह कैद होना अंतत: संवैधानिक मूल्यों का ही हनन है और संवैधानिक मूल्य ही भारत राष्ट्र के कायम रहने की गारंटी है। मीडिया के पैरों का हिलना संविधान के पायों का डगमगाना है।