गांधी ने जिस संविधान का सपना देखा

गांधी ने जिस संविधान का सपना देखा

गांधी देश के एक बड़े तबके लिए राष्ट्रपिता थे तो कइयों के लिए वह महात्मा या बापू थे। इतने वर्षों बाद भी गांधी की वैश्विक ख्याति और सत्य-अहिंसा के उनके विचारों की प्रासंगिकता बताती है कि एक विचार के रूप में गांधी की हत्या कर पाना संभव नहीं था। आइए समझने का प्रयास करते हैं कि गांधी के सपनों का भारत कैसा था और वह भारत के लिए कैसा संविधान चाहते थे?

26 जनवरी: उन बहसों को याद करने का दिन

26 जनवरी: उन बहसों को याद करने का दिन

26 जनवरी वह दिन है जब 1950 में हमारे देश ने संविधान को अपनाया था और एक गणराज्य के रूप में अपनी नई यात्रा की शुरुआत की थी। उस समय तक देश का शासन भारत शासन अधिनियम के संशोधित स्वरूप के माध्यम से चल रहा था। प्रस्तुत है संविधान सभा की बैठकों के अंतिम सप्‍ताह के महत्‍व को रेखांकित करता यह आलेख।

हिंदी दिवस: राज भाषा निर्माण का संघर्ष

हिंदी दिवस: राज भाषा निर्माण का संघर्ष

जिस समय भारत ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आज़ाद हो रहा था और एक नए राष्ट्र के रूप में उसका एकीकरण हो रहा था, ठीक उसी समय पहली बार भारत की राज भाषा और राष्ट्र भाषा का प्रश्न खड़ा हुआ। संविधान सभा में हिंदी और अहिंदीभाषी सदस्यों के बीच लंबी बहस के बाद हिंदी को राज भाषा बनाने पर सहमति बन सकी।

लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव, संविधान और नेहरू

लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव, संविधान और नेहरू

नेहरू जिस भारत का स्वप्न देखते थे, उसमें टुकड़ों में बंटे हुए भारत के लिए कोई जगह नहीं थी। उनके मन में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक एक भारत की छवि थी…