संविधान, भरोसा और समाज
अर्थ और भारत के लिए इसकी आवश्यकता
देश और समाज के सुचारू रूप से काम करने के लिए यह आवश्यक है कि परस्पर विश्वास का माहौल हो। नागरिक और शासन व्यवस्था परस्पर एक दूसरे पर आश्रित हैं, और यह रिश्ता तभी फलदायी हो सकता है जब यह आपसी विश्वास की डोर से बंधा हो। भारत का संविधान सामाजिक सद्भाव के मूल्यों का पालन करने का जनादेश प्रदान करता है। इसके लिए आवश्यक है कि नागरिक, समाज और शासन व्यवस्था देश और समाज की व्यापक भलाई पर केन्द्रित होते हुए सतत रूप से अपने बीच पारस्परिक भरोसा कायम करें। यह पुस्तक इन्हीं अंतर्संबंधों की पड़ताल करती है।