भारत का राष्ट्रीय ध्वज: तिरंगे की कहानी
किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज केवल उसकी पहचान का प्रतीक नहीं होता है बल्कि वह पूरे देश को एक सूत्र में बांधता है। हमारी आजादी की लड़ाई में भी लंबे समय तक एक सर्वमान्य ध्वज की कमी खली। रियासतों के अपने-अपने झंडे थे लेकिन वे देश की सामूहिक पहचान का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते थे। इस ध्वज की अनुपस्थिति की पीड़ा, राष्ट्रीय ध्वज बनाने की पहल, इस ध्वज में किन प्रतीकों का इस्तेमाल किया जाए इस पर होने वाली बहस से लेकर अंतिम रूप से तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज माने जाने का सफर अत्यंत दिलचस्प रहा। एक लंबे सफर के बाद वह ध्वज सामने आया जिसे हम भारत का राष्ट्रीय ध्वज कहते हैं और जिसे देखते ही हाथ स्वत: ससम्मान सलामी देने लगते हैं।