होम / नागरिक चक्रम भाग 9: पंद्रह अगस्त 
चक्रम ने जाना की नागरिक होने का क्या अर्थ होता है?

जब कोई व्यक्ति सचमुच सोचने लगता है कि हमें अपने देश और समाज को ऐसा बनाना है, जिसमें सभी का सम्मान हो, सभी समान हों; तब वह अपनी सोच को सवालों के रूप में सबके सामने लाने लगता है। स्वतंत्रता दिवस के आयोजन में नागरिक चक्रम ने एक सवाल सबसे पूछ लिया। क्या था वह सवाल, आइये पढ़ते हैं नागरिक चक्रम की आज की कहानी में।

Similar Posts

  • संविधान और हम-3 : संविधान निर्माण और संविधान सभा की बहसें

    भारतीय संविधान को जानने,मानने और अपनाने के लिए ‘संविधान संवाद’ की पहल ‘संविधान और हम’ वीडियो शृंखला की आठ कड़ियों में हम प्रस्‍तुत कर रहे हैं संविधान निर्माण की प्रक्रिया का लेखा जोखा। संविधान सभा की बहस को जानना का उपक्रम है यह एपिसोड।

  • नागरिक चक्रम भाग 5: अंधविश्वास

    हम सब कई बातों को सुनते हैं और उन पर विश्वास करने लगते हैं। समाज में ऐसी कई बातें होती हैं,
    जिनका कोई वैज्ञानिक या प्रामाणिक आधार नहीं होता है, लेकिन लोग आंखें मूंद कर उनमें भरोसा करते हैं। इस बार चक्रम से मिलने आये कुछ कौए। कौए! अरे वही जो काँव-काँव करते हैं। उनकी क्या बातचीत हुई, आइये पढ़ते हैं नागरिक चक्रम की इस कहानी में।

  • 26 जनवरी: उन बहसों को याद करने का दिन

    26 जनवरी वह दिन है जब 1950 में हमारे देश ने संविधान को अपनाया था और एक गणराज्य के रूप में अपनी नई यात्रा की शुरुआत की थी। उस समय तक देश का शासन भारत शासन अधिनियम के संशोधित स्वरूप के माध्यम से चल रहा था। प्रस्तुत है संविधान सभा की बैठकों के अंतिम सप्‍ताह के महत्‍व को रेखांकित करता यह आलेख।

  • लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव, संविधान और नेहरू

    नेहरू जिस भारत का स्वप्न देखते थे, उसमें टुकड़ों में बंटे हुए भारत के लिए कोई जगह नहीं थी। उनके मन में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक एक भारत की छवि थी…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *