संविधान में लोकतंत्र के मायने

संविधान में लोकतंत्र के मायने

भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। हम इस बात पर गर्व करते हैं कि हमारे देश में प्राचीन काल से लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया जाता रहा है…

भारत में शक्तिशाली केंद्र के मायने

भारत में शक्तिशाली केंद्र के मायने

भारत की शासन व्यवस्था ऐसी है जहां केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग व्यवस्था दी गयी है। दोनों के बीच शक्तियों का बंटवारा इस प्रकार किया गया है कि आपस में…

समान नागरिक संहिता- कौन करेगा निर्माण?

समान नागरिक संहिता- कौन करेगा निर्माण?

भारतीय समाज जिस स्थिति से गुजर रहा है, उसमें उसके सामने दो ही विकल्प हैं। या तो विभिन्न धार्मिक समुदाय अपने-अपने धार्मिक विधानों में सुधार करें और उन्हें न्याय सम्मत…

आरक्षण, छुआछूत और संविधान सभा

आरक्षण, छुआछूत और संविधान सभा

देश की संविधान सभा में आरक्षण को लेकर बहुत गंभीर और विस्तृत चर्चा हुई। विभिन्न तरह के मत सामने आए और आखिर में संविधान सभा ने सभी विचारों को ध्यान में…

संविधान की उद्देशिका में ईश्वर का नाम क्यों नहीं है?

संविधान की उद्देशिका में ईश्वर का नाम क्यों नहीं है?

संविधान की आत्मा उसकी उद्देशिका में बसती है। उद्देशिका में उल्लिखित मूल्य ही देश को पंथनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक बनाने की राह दिखाते हैं। संविधान की उद्देशिका में कहीं भी…

संवैधानिक नैतिकता और डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

संवैधानिक नैतिकता और डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

डॉ. अम्बेडकर मानते थे कि एक संवैधानिक राज्य की स्थापना के लिए केवल संवैधानिक प्रावधानों को अपना लेना पर्याप्त नहीं बल्कि उसके लिए संवैधानिक नैतिकता…