संविधान को जानने के लिए यह जानना-समझना जरूरी है कि भारत का संविधान किन परिस्थितियों में बनाया गया? क्या वे बहुत सहज-सरल और शांतिकाल की स्थितियां थीं? इस प्रश्न का जवाब ही भारत के संविधान के महत्व को स्थापित करता है। उपनिवेशकाल से लेकर स्वतंत्रता तक, भारत किन-किन विधानों/कानूनों के उतार-चढ़ावों से गुजरा है यह जान कर हम संविधान के निर्माण प्रक्रिया तथा उसके महत्‍व को बूझ पाएंगे। जानते हैं कि विनियमन अधिनियम 1773 तथा ईस्‍ट इंडिया कंपनी अधिनियम 1784 क्‍यों बनाया गया था तथा इनमें क्‍या प्रावधान किए गए थे। 

विनियमन अधिनियम, 1773

  • ब्रिटिश संसद ने पहली बार भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कामों को नियमों के अधीन लाने के लिए  कानून बनाया।
  • ईस्ट इंडिया कम्पनी का केंद्र बंगाल (विशेषकर कलकत्ता) था, अतः बंगाल के गवर्नर को गवर्नर-जनरल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। गवर्नर जनरल के साथ एक कार्यपरिषद जोड़ दी गई।
  • इसके साथ ही मद्रास और बम्बई प्रेसिडेंसी को कलकत्ता प्रेसिडेंसी के अधीन कर दिया गया।
  • यह नियम बना दिया गया कि ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी निजी तौर पर कोई व्यापार नहीं करेंगे।
  • वर्ष 1774 में कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय स्थापित किया गया।
  •  

ईस्ट इंडिया कंपनी अधिनियम, 1784

  • भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी का विस्तार हो रहा था। तब कंपनी के व्यापारिक और राजनीतिक कामों को अलग-अलग करने की पहल की गई। तत्कालीन युवा ब्रिटिश प्रधानमन्त्री विलियम पिट के नाम पर इसे पिट अधिनियम भी कहा जाता है।
  • राजनीतिक मामलों के प्रबंधन के लिए बोर्ड ऑफ कंट्रोल बनाया गया जबकि व्यापारिक-वाणिज्यिक मामलों के प्रबंधन के लिए कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स का गठन हुआ।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी के फैलाव को भारत में ब्रिटिश आधिपत्य माना जाता था। पिट अधिनियम के साथ ही मद्रास और बम्बई में भी गवर्नर परिषद की स्थापना हुई। 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *