आ एआई मुझे मार

आ एआई मुझे मार

मशीनी होती जिंदगी अब मुहावरा भर नहीं रह गया है। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आने के बाद अब इंसान का मशीन बन जाना और मशीन का इंसान बन जाना संभव है। दूसरी तरफ, एआई केे लाभ भी गिनाए जा रहे हैं। यानी, यह केवल खतरा नहीं है बल्कि अवसर भी है।

सबसे कटु दौर में लोकतांत्रिक और मूल्‍ययुक्‍त बना संविधान

सबसे कटु दौर में लोकतांत्रिक और मूल्‍ययुक्‍त बना संविधान

आर्थिक बदहाली, हिंसा, प्राकृतिक आपदाओं, सांप्रदायिक वैमनस्यता के तूफ़ान के बीच संविधान सभा के 250 से अधिक प्रतिनिधि, भारत के लिए ऐसा संविधान…

स्त्री शिक्षा, समाज सुधार और मूल्यों के लिए संघर्ष

स्त्री शिक्षा, समाज सुधार और मूल्यों के लिए संघर्ष

उन्नीसवीं सदी में भारतीय महिलाओं की शिक्षा और सशक्तीकरण की बात आने पर सावित्रीबाई फुले का जिक्र लाजिमी है। सावित्रीबाई फुले को याद करना इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि यह समय समता, समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुता जैसे संवैधानिक मूल्यों को देश और समाज में पुन: स्थापित करने का भी है। सावित्रीबाई फुले के विचार इस सिलसिले में बेहद मददगार साबित हो सकते हैं।

संवैधानिक मूल्यों के मायने: मूल्‍यों के भाव के बिना अर्थहीन हैं अधिकार

संवैधानिक मूल्यों के मायने: मूल्‍यों के भाव के बिना अर्थहीन हैं अधिकार

मूल्य वास्तव में जीवन शैली के मानकों के रूप में समझे जा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति अपना जीवन किन सिद्धांतों के आधार पर जीता है, यह उसके ‘मूल्यों’ से ही तय होता है…