भारत की भीतरी दासता से मुक्ति पर बहस
जब भारत आज़ाद भी नहीं हुआ था, तब स्पष्ट नीति बनने लगी थी कि बलात श्रम, बेगार और मानव व्यापार को खत्म करके ही हम भीतरी दासता से मुक्त हो सकेंगे. हम देखते हैं कि सात दशक गुज़र जाने के बाद भी भारत में बच्चों, किशोरवय व्यक्तियों, औरतों और महिलाओं का व्यापार होता है.
जब भारत आज़ाद भी नहीं हुआ था, तब स्पष्ट नीति बनने लगी थी कि बलात श्रम, बेगार और मानव व्यापार को खत्म करके ही हम भीतरी दासता से मुक्त हो सकेंगे. हम देखते हैं कि सात दशक गुज़र जाने के बाद भी भारत में बच्चों, किशोरवय व्यक्तियों, औरतों और महिलाओं का व्यापार होता है.