विकास संवाद संविधान फैलोशिप 2022 के सम्मानित ज्यूरी सदस्य
मध्य प्रदेश के ख्यात लेखक, स्तंभकार और पर्यावरण चेतना के लिए सक्रिय श्री चिन्मय मिश्र के चिंतन, लेखक और कार्यों के केंद्र में गांधी, बच्चे, वस्त्र परंपरा और कला हैं। भारतीय पारंपरिक वस्त्र परंपरा पर संकलन, दस्तावेजीकरण एवं प्रदर्शनी, भारतीय पारंपरिक वस्त्र छपाई परंपरा पर केंद्रित पुस्तक ‘अंकन’ और बुनाई परंपरा पर केंद्रित पुस्तक ‘तंतुजा’, भारतीय साड़ी परंपरा, रेशमी वस्त्र परंपरा, कशीदाकारी एवं बिछायत परंपरा पर चार मोनोलॉग, सरदार सरोवर बांध से विस्थापित हुए समुदाय के विस्तृत अध्ययन पर पुस्तक ‘प्रलय से टकराते समाज व संस्कृति’, बांध, टाइगर रिजर्व, औद्योगिक क्षेत्र, शहरी विस्तार से विस्थापित बच्चों पर पुस्तक ‘बचपन से विस्थापित बच्चे’ आदि प्रमुख प्रकाशन हैं। श्री चिन्मय मिश्र ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय एवं अन्य के साथ मिलकर विस्थापन एवं कलाओं पर 10 से अधिक वृत्तचित्रों का लेखन एवं निर्माण सहयोग किया है। जनसंगठनों के साथ जुड़े रहे श्री मिश्र वर्तमान में मध्यप्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष हैं। गांधी दर्शन के प्रचार हेतु कार्य के साथ पारंपरिक वस्त्र परंपरा और प्राकृतिक रंगों के उपयोग को प्रोत्साहन के लिए सक्रिय श्री चिन्मय मिश्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 1000 से अधिक लेख लिख चुके हैं। सर्वोदय प्रेस सर्विस इंदौर में 11 वर्षों तक कार्यकारी संपादक रहे श्री चिन्मय मिश्र द्वारा स्तंभ लेखन जारी है।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठतम पत्रकार श्री चंद्रकांत नायडू लगभग 50 वर्षों के कॅरियर के दौरान इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स के क्षेत्रीय संपादक और फ्री प्रेस जर्नल के कार्यकारी संपादक रहे हैं। वे मुख्यधारा के कुछ प्रमुख प्रकाशनों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संगठनों के स्तंभकार और मीडिया सलाहकार हैं। श्री नायडू को हिंदुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस के हिंदी ह्रदय क्षेत्र के प्रमुख राज्यों, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के संस्करणों का संपादन का दुर्लभ गौरव प्राप्त है। वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में विजिटिंग फेलो रह चुके हैं। श्री नायडू माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल और हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में गेस्ट फैकल्टी रहे हैं।
श्रीमती मंजीत पीएस चक्कल 2005 से वकालत कर रही हैं। वे पूर्व सरकारी वकील हैं। वर्तमान में वे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में आपराधिक, दीवानी और रिट क्षेत्राधिकार के क्षेत्र में पैरवी कर रही हैं। वे फैमिली कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वैवाहिक विवाद, घरेलू हिंसा और महिला उत्पीड़न के सभी प्रकार के मामलों में प्रैक्टिस कर रही है। श्रीमती मंजीत पीएस चक्कल एनजीओ किलकारी उड़ान (भोपाल) सहित कई कंपनियों के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में काम कर रही हैं।
प्रिंट मीडिया में पत्रकारिता व संपादन के चार दशकों से अधिक समय के सुदीर्घ अनुभव वाले श्री एन. के. सिंह हिंदुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस के रेजिडेंट एडिटर और दैनिक भास्कर के स्टेट हेड के अलावा नई दुनिया, पीपुल्स समाचार, द हितवाद, सेक्युलर डेमोक्रेसी और प्रतिपक्ष में विभिन्न पदों पर रहे हैं। वे 14 वर्षों तक इंडिया टुडे में एसोसिएट एडिटर का दायित्व निभा चुके हैं। श्री सिंह ने सांप्रदायिक मुद्दों पर पांच पुस्तिकाएं लिखी हैं। भोपाल गैस त्रासदी पर बीबीसी और ग्रेनाडा टीवी द्वारा निर्मित वृत्तचित्र ने न्यूयॉर्क फिल्म समारोह में स्वर्ण पदक जीता हैं। आपका कार्यक्षेत्र मध्य प्रदेश के साथ ही नई दिल्ली, राजस्थान और गुजरात रहा है।
पिछले चार दशक से रेडियो,प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल पत्रकारिता का जानामाना नाम श्री राजेश बादल राज्यसभा राज्यसभा टीवी के संस्थापक एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रह चुके हैं। अपने इस आठ साल के दायित्व के दौरान तैयार की गई ‘संविधान’ (निर्देशक श्याम बेनेगल) शृंखला मील का पत्थर है। सौ से अधिक डाक्यूमेंट्री का निर्माण कर चुके श्री राजेश बादल को टीवी पत्रकारिता में पहली बार बायोपिक की व्यवस्थित शुरुआत करने का श्रेय जाता है। पचास से अधिक बायोपिक के निर्माता,प्रस्तुतकर्ता और एंकर श्री राजेश बादल के राज्यसभा टीवी के शो विरासत (उनकी नजर, उनका शहर) ने लोकप्रियता के कीर्तिमान रचे हैं। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर पर आपके द्वारा निर्मित दो घंटे की फिल्म को हिंदी में गुरुदेव पर शोधपरक और दस्तावेजी कार्य का गौरव प्राप्त है। करीब दस चैनलों की शुरुआत करने वाले श्री राजेश बादल आजतक में संपादक,वॉइस ऑफ इंडिया में मैनेजिंग एडिटर व समूह संपादक, इंडिया न्यूज में न्यूज डायरेक्टर, बीएजी फिल्म्स में कार्यकारी संपादक,सीएनईबी में एडिटर-इन-चीफ रह चुके हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र नईदुनिया और राजस्थान में ‘राजस्थान पत्रिका’ में की गई पत्रकारिता का जिक्र आज भी सम्मान के साथ किया जाता है। इनदिनों आप विभिन्न मीडिया संस्थानों में नियमित स्तंभ लेखन कर रहे हैं।
सुश्री श्रावणी सरकार मप्र की वरिष्ठ महिला पत्रकारों में से एक हैं। 27 से अधिक वर्षों की सक्रिय पत्रकारिता में, उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस, लोकमत टाइम्स, दैनिक भास्कर ग्रुप आदि जैसे प्रमुख प्रकाशनों में प्रमुख दायित्व निभाए हैं। उन्हें कुपोषण, महिलाओं और बच्चों के कल्याण, शिक्षा, सूचना के अधिकार (आरटीआई) आधारित कहानियों और मौसम विज्ञान से संबंधित रिपोर्टिंग में विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले पर कई ब्रेकिंग स्टोरीज की हैं। सुश्री सरकार को वर्षों से पत्रकारिता में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वे वर्तमान में राष्ट्रीय समाचार पत्रिका ‘द वीक’ की विशेष संवाददाता (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की प्रभारी) हैं।
मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में सरोकारों वाली पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले श्री सुनील कुमार गुप्ता बीते तीन दशकों से सामाजिक, राजनीतिक विषयों के साथ विकासपरक पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय हैं। विभिन्न मीडिया संस्थानों में संपादकीय दायित्व का निर्वहन करने वाले श्री सुनील कुमार गुप्ता छात्र जीवन से ही लेखन, कविता, शायरी और रंगकर्म में संलग्न रहे हैं। मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग से लेकर बीते कई वर्षों से कार्यकारी संपादक का पदभार संभाल रहे श्री सुनील कुमार गुप्ता ने अपने संपादकीय दायित्व के निर्वाह के साथ ही युवा पत्रकारों की समझ और कौशल में विकास करने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। जनसरोकार के मुद्दों की गहरी समझ रखने वाले श्री सुनील कुमार गुप्ता ने रंगकर्म और पत्रकारिता/लेखन के अंतर्संबंधों को समझ कर इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है। इन दिनों स्वतंत्र लेखन कर रहे श्री सुनील गुप्ता विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म पर स्तंभकार के रूप में ख्यात हैं।
हम सबके बीच विभूति दा के नाम से लोकप्रिय श्री विभूति झा का एक परिचय यह है कि उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैसकांड के पीड़ितों की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय से अंतरिम मुआवजा पाने तक लड़ी है। आपने 1975 में सोशल एंथ्रोपोलॉजी में एमए सागर यूनिवर्सिटी के टॉपर रहते हुए अर्जित की है। जेएनयू (नई दिल्ली) से समाजशास्त्र में एम.फिल/पीएचडी विभूति दा अपने शिक्षाकाल में रंगमंच आंदोलन में भी सक्रिय रहे हैं। प्रसिद्ध कवि मुक्तिबोध के जीवन और कार्यों पर मणि कौल द्वारा निर्मित फीचर फिल्म ‘सतह से उठा आदमी’ में आपने मुख्य भूमिका निभाई है। आपातकाल के दौरान व उसके बाद के छात्र आंदोलन सहित कई नागरिक और मानवाधिकार मंचों में भी प्रमुख भागीदार रहे हैं। विभूति दा ने वर्ष 2007 में जीवन की धारा बदल ली और सफलता के शीर्ष पर वकालत को छोड़ कर मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों मंडला और अलीराजपुर में ग्रामीण आबादी के बीच रहने और कार्य करने चले गए। इनदिनों आप पंचायती राज कानूनी ढांचे में प्राप्त अधिकारों के बारे में जागरूकता निर्माण और ‘ग्राम सभा’ के सशक्तीकरण के साथ पर्यावरण कानूनों के माध्यम से वन संरक्षण के कार्य में सक्रिय हैं।