विकास संवाद संविधान फैलोशिप के बारे में

(मध्‍य प्रदेश के पत्रकारों और वकीलों को विकास संवाद संविधान फैलोशिप)

भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित है कि, संविधान की स्थापना का मूल उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, प्रतिष्ठा, अवसर की समानता तथा स्‍वतंत्रता प्रदान करना है। मगर यह तथ्‍य भी किसी से छिपा नहीं है कि समान न्‍याय व्‍यवस्‍था, समानता, स्‍वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्‍यों का क्रियान्वयन होने में अब भी कई पड़ाव शेष हैं।

जब हम अपने आसपास भेदभाव देखते हैं, बच्‍चों को स्‍कूल की जगह काम पर जाते देखते हैं, जब गरीब की छत उजड़ते देखते हैं, जब दलितों को दोयम दर्जे का बर्ताव सहते देखते हैं, जब महिलाओं को अधिकारों से वंचित देखते हैं तब हमें संवैधानिक मूल्‍यों की याद आनी चाहिए। मगर, हमारे विचारों, हमारी चर्चाओं, हमारे दैनिक कार्यों में ऐसे मुद्दे गायब होते हैं। संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति सजगता हमारे आम क्रियाकलापों में शामिल नहीं होती है। इस अंतर को पाटने के लिए सक्रिय पत्रकारों व संवेदनशील वकीलों के समूह की भी आवश्यकता महसूस की गई है जो कि वंचित एवं शोषित वर्गों के हक की आवाज को बुलंद कर सकें। उनके संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सके। संवैधानिक मूल्‍य क्‍या हैं यह जानेंगे और इन्‍हें समझेंगे तो संविधान को सर्वोच्‍च दर्जा देने के लिए समाज को प्रेरित कर पाएंगे।

इस उद्देश्‍य को लेकर मध्‍य प्रदेश के 15 पत्रकारों, फोटो जर्नलिस्‍ट और 10 वकीलों के लिए आरंभ की गई विकास संवाद संविधान फैलोशिप संवैधानिक मूल्यों पर सोचने, समझने, संवाद करने, सीखने-समझने के लिए दो तरफ़ा प्रक्रिया होगी, जिसमें हम साझा तरीके से संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति चेतना और अपना कथानक विकसित कर पाएंगे।

विकास संवाद संविधान फैलोशिप इसी जागरूकता के लिहाज से अन्‍य फैलोशिप कार्यक्रमों से अलग है। इस फैलोशिप को पूर्ण करने का पैमाना केवल कमरे में चर्चा करना या व्‍याख्‍या करना भर नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि एक बार चयन के उपरांत प्रारंभ हुई प्रक्रिया अंतिम रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने के बाद खत्‍म हो जाएगी।

इस फैलोशिप में आपसदारी के माध्‍यम से हम संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति आपने बोध को अधिक स्‍पष्‍ट करेंगे। उम्‍मीद करते हैं कि इस दौरान आई चेतना हमारे समग्र कार्य व्‍यवहार में परिलक्षित हो। यह फैलोशिप वास्‍तव में सीखने की सतत प्रक्रिया का आरंभ बिंदु है। अपेक्षा है कि जब फैलोशिप विराम लेगी तब संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति जागरूक नागरिक के रूप में यात्रा आरंभ होगी।

संविधान संवाद का फलक

‘संविधान संवाद’ भारतीय संविधान की विकास गाथा को जानने, उसकी उद्देश्‍य को समझने तथा तय लक्ष्‍यों की प्राप्ति में हम नागरिकों के कर्तव्‍यों के बोध की एक पहल है। इसमें संविधान निर्माण की प्रक्रिया, इस प्रक्रिया के अनछुए पहलुओं को समझने के लिए आलेख होंगे, इस राह की चुनौतियों का जिक्र होगा तो वास्‍तविक दिशा दिखलाती आंखों देखी रिपोर्ट होंगी। सुधार के उपाय बताते विमर्श होंगे और हमें अपने संविधान के पालन की समझ देते कुछ सूत्र होंगे। यह सब पाठकों की भागीदारी के साथ संवाद के रूप में होगा।

हमारी कोशिश है कि संविधान निर्माण से जुड़ी संदर्भ सामग्री को मूल रूप से हम साभार यहां प्रस्‍तुत कर सकें। साथ ही, संविधान के प्रति हमारी समझ को बढ़ाने वाले विषय विशेषज्ञों के विचार हमारे दृष्टि को समृद्ध करेंगे। इसके साथ ही ‘संविधान संवाद’ शोध और दस्तावेजीकरण, सहभागी प्रशिक्षण और संवाद, प्रकाशन, फैलोशिप, फिल्म निर्माण जैसे बहुआयामी प्रयत्‍नों के माध्‍यम से संविधान को जानने, समझने और आत्‍मसात करने की कोशिश होगी।