विकास संवाद की पहल ‘संविधान संवाद’ के अंतर्गत
(मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के वकीलों के लिए)
संविधान निर्माण सभा ने भारतीय संविधान की उद्देशिका में कुछ बुनियादी मूल्यों का उल्लेख किया है। ये मूल्य हैं – बंधुता, व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय, समानता। इसके साथ ही व्यवस्था को लोकतांत्रिक और समाजवादी बनाया गया है। विकास संवाद की सोच है कि इन मूल्यों का महत्व केवल सरकार या न्यायपालिका तक ही सीमित नहीं है। वस्तुतः ये निजी और सार्वजनिक जीवन के भी मूल्य हैं। संस्था विकास संवाद के कार्यक्रम ‘संविधान संवाद’ की न्याय मैत्री फैलोशिप इन मूल्यों को व्यावहारिक रूप से समझने और अभ्यास को प्रोत्साहित करने का जतन है।
यदि आप …
- वैज्ञानिक, समावेशी और पंथ निरपेक्ष चिंतन परंपरा और संवैधानिक मूल्यों में भरोसा रख कर वकालत करते हैं…
- अपनी वकालत को मूल्यपरक दृष्टि तथा शोधपूर्ण आधार देते हैं…
- आप स्वयं मे बतौर भारतीय नागरिक आत्मबोध और चेतना रखते हैं…
- आप समाधान की दिशा में कार्य करते हैं…
… तो यह फैलोशिप आपके लिए हैं।
न्याय मैत्री फैलोशिप क्या और क्यों?
विकास संवाद बीते दो दशकों से फैलोशिप कार्यक्रम संचालित कर सामूहिक प्रयासों से बेहतर समाज बनाने के अपने उद्देश्य की दिशा में पहल कर रहा है। हम जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति की सोच, दृष्टिकोण और कार्य व्यवहार स्वयं उसे, उसके परिवार तथा आसपास के समाज को प्रभावित करता है। इसी तरह जब हम न्यायपालिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वकीलों का संदर्भ लेते हैं, तब हम पाते हैं कि एक तरफ तो वकील एक व्यक्ति या समुदाय के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण में अहम् भूमिका निभाते हैं, तो वहीँ दूसरी तरफ उनका नज़रिया और जिरह अदालतों के निर्णयों का आधार भी बनती हैं। इन जिरहों से ही न्यायपालिका अपने आदेशों/निर्णयों से ऐसे मानक स्थापित करती हैं, जो सरकार के कामकाज को मूल्य आधारित और संवैधानिक नियमों के अनुरूप काम करने के लिए प्रेरित करती है। न्यायपालिका के निर्णय भी भारत में कई कानूनों और कानून के राज की व्याख्या करने में आधारभूत भूमिका निभाते हैं।
जब हम न्याय मैत्री फैलोशिप में ‘वकीलों’ की सहभागिता की कल्पना करते हैं, तब हम मानते हैं कि वकील ‘न्याय की श्रृंखला’ की एक बेहद महत्वपूर्ण कड़ी है। अकसर न्यायालयीन प्रक्रियाओं में ‘कानून’ के आधार पर तो बात-बहस होती है, लेकिन क्या इस प्रक्रिया में शामिल लोग (चाहे वह फरियादी हो या आरोपी) ‘न्याय’ की अवधारणा से वाकिफ हो पाते हैं? क्या फरियादी, जिसके किसी न किसी अधिकार का उल्लंघन हुआ होता है या शोषण हुआ होता है; इस ‘निर्भय’ होकर इस विश्वास के साथ न्यायालय में प्रवेश करता है कि उसके साथ न्याय होगा? या उसके मन में भय होता है, असुरक्षा की भावना होती है और न्यायालय में प्रवेश करके भी भाग्य के भरोसे ही रहता है कि शायद उसके साथ न्याय होगा! इस भय का कारण होते हैं क़ानून और न्याय की व्यवस्था में शामिल व्यक्तियों का व्यवहार, वहां की व्यवस्थाएं और कार्यशैली! किसी भी व्यक्ति में व्यवस्था के प्रति विश्वास किताबों या व्याख्यानों या मौखिक वायदों से नहीं बल्कि उस व्यवस्था में शामिल व्यक्तियों के व्यवहार और संवाद से स्थापित या विस्थापित होता है।
न्याय मैत्री फैलोशिप की पहल इस उम्मीद पर आधारित है कि वकीलों के निजी और पेशवर जीवन से संवैधानिक मूल्यों का क्या रिश्ता हो सकता है।
इस फैलोशिप में यह अपेक्षा है कि वकील साथी न्यायालय की प्रक्रियाओं और उनके निर्णयों को केवल कानूनी प्रावधान के नजरिये से न देखें, बल्कि उन्हें बंधुता, न्याय, व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा की नज़र से दे देखें और संवैधानिक मूल्यों की नजर से उनकी ऐसी व्याख्या करें, जिससे संवैधानिक मूल्यों को केवल सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के चुनिन्दा विद्वान् न्यायाधीशों के दायरे तक ही सीमित न माना जाए। वे यह देख सके कि वकालत करने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग व्यक्तियों और महिलाओं के साथ किस तरह का व्यवहार होता है! क्या इन समूहों से जुड़े व्यक्ति निर्भय होकर गरिमा के साथ वकालत कर सकते हैं? क्या इनके लिए व्यवस्था में कोई बदलाव किया जा सकता है?
हमने यह अनुभव किया है कि अगर एक वकील के मन में विद्वेष है तो वह उसकी वकालत और जीवन व्यवहार में जरूर झलकेगा और यह विद्वेषपूर्ण कर्म उससे जुड़े लोगों को भी संक्रमित करेगा। जब वकील यह सुनिश्चित करता है कि वह बंधुता, न्याय, समता, गरिमा जैसे मूल्यों का पालन करेगा तो तय है कि उसके कार्य से भी ऐसा ही भाव प्रसारित होगा।
न्याय मैत्री फैलोशिप किनके लिए?
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के रायपुर, सरगुजा, कोरिया, सूरजपुर और एमसीबी (मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर) जिलों के सभी वकील जो न्याय मैत्री फैलोशिप के उद्देश्यों से सहमत हैं और जो संवैधानिक मूल्यों के पालन की प्रतिबद्धता के साथ वकालत करना चाहते हैं। इस फैलोशिप के लिए हाईकोर्ट की किसी भी बेंच और जिला अदालतों में कार्यरत वकील पात्र हैं।
फैलोशिप की अवधि: 18 माह
फैलोशिप की संख्या: 20 फैलोशिप
मानेदय: 18,000 प्रतिमाह
आवेदन की अंतिम तिथि: 14 सितंबर 2025, रविवार, शाम 5 बजे तक
आवेदन के लिए लिंक: न्याय मैत्री फैलोशिप (2025-27) – Google Forms
आवेदन के लिए स्कैन करें:

आवेदन के पहले ऑनलाइन मीटिंग: 6 सितंबर, शनिवार, सुबह 11 बजे
ऑनलाइन मीटिंग की लिंक: https://meet.google.com/bnd-fexd-wxc
योग्यता:
- वकालत के पेशे में पूर्णकालिक सक्रिय तथा जनहित के मुद्दों व सामाजिक न्याय के विषयों में रूचि व अनुभव रखने वाले वकील पात्र हैं।
- संवैधानिक मूल्यों के प्रति आस्था होना आवश्यक है।
- शोधपूर्ण मैदानी कार्य करने में आवश्यक रूप से रूचि हो।
- आपराधिक अतीत न हो। पूर्व में ऐसा कोई मामला हो जिसका निपटारा हो गया हो तब भी आवेदक को ऐसे हर मामले की जानकारी आवेदन के समय ही देनी होगी।
- किसी राजनीतिक दल से सम्बद्धता या सक्रिय सदस्यता, सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, आर्थिक अनियमितता में संलिप्तता नहीं होना चाहिए।
- हमारी प्राथमिकता में अजा, जजा, महिला, ओबीसी, दिव्यांग, अल्पसंख्यक वकील होंगे।
- आपको आवेदन के साथ एक स्थानीय वकील, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता सहित किसी प्रतिष्ठित नागरिक का संदर्भ देना है। इसके साथ यदि आप किसी स्थानीय/प्रादेशिक समाजसेवी संस्थान के साथ संबद्धता की जानकारी या संदर्भ देते हैं तो यह अतिरिक्त सूचना होगी।
फैलोशिप कार्य अपेक्षाएं:
- चयनित फेलो वकील अपने चुने हुए विषय पर 18 महीने तक कार्य करेंगे; एवं शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे
- प्रत्येक 18 महीने में समुदाय को प्रभावित करने वाले और संवैधानिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य पर आधारित चार मामलों का अभियोजन।
- चयनित विषय से संबंधित उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के छह आदेशों का सारांश तैयार करना।
- संवैधानिक मूल्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने और आवश्यक कानूनी उपायों पर चर्चा करने के लिए एक कानूनी सहायता/पीयर ग्रुप (छात्रों का एक समूह हो सकता है) को सक्रिय करना।
- संपूर्ण फेलोशिप पर एक अनुभव नोट; पीयर ग्रुप एक्टिविटी पर विस्तृत नोट।
अपेक्षित परिवर्तन:
विकास संवाद का प्रयत्न है कि न्याय मैत्री फैलोशिप सीखने-सिखाने की एकतरफा प्रक्रिया न बने और न ही यह एक कागजी या यांत्रिक कार्य बन कर रह जाए। हमारा प्रयास है कि न्याय मैत्री फैलोशिप से जुड़ा हर फैलो इस यात्रा के दौरान बेहतर नागरिक और श्रेष्ठ वकील बनने की दिशा में समर्पित प्रयास करे।
इसलिए स्थूल कार्यों के साथ कुछ सूक्ष्म परिवर्तनों की कल्पना भी की गई। हम उम्मीद करते हैं कि फैलोशिप उपरांत एक फैलो का दृष्टिकोण, विचार, कार्य-व्यवहार और दैनिक आचरण अधिक संवैधानिक मूल्यपरक होगा। उसका यह परिवर्तन केवल स्वयं में नहीं बल्कि उसके परिवार, समाज और कार्यों में भी स्पष्ट से परिलक्षित होगा। उसका लेखन अधिक शोधपूर्ण तथा बंधुता, न्याय, स्वतंत्रता, समता, गरिमा जैसे मूल्यों का हिमायती होगा।
फैलोशिप चयन प्रक्रिया
विकास संवाद बीते दो दशकों से फैलोशिप कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है। इस अनुभव के आधार पर न्याय मैत्री फैलोशिप की चयन प्रक्रिया और अधिक सूक्ष्म, व्यापक, गहन और सर्वसमावेशी बनाया गया है। हमारा प्रयास है कि उपयुक्त व्यक्ति ही इस यात्रा का हिस्सा बने इसलिए हमने चयन के पूर्व भी एक ऑनलाइन संवाद करना जरूरी समझा है ताकि वकील साथी वैसी ही तैयारी के साथ इस कार्य का हिस्सा बन सकें।
आवेदन कब और कैसे
न्याय मैत्री फैलोशिप की घोषणा के उपरांत संपूर्ण मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के रायपुर, सरगुजा, कोरिया, सुरजपुर और एमसीबी जिलों के योग्यता पूरी करने वाले वकील इस फैलोशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं।
आवेदकों को विकास संवाद समिति द्वारा तय गुगल फॉर्म में आवेदन करना होगा। इसके साथ ही अपना बायोडाटा, अनुभव को दर्शाने के लिए पूर्व में किए गए पांच केस का विवरण देना होगा।
आवेदन 14 सितंबर, 2025, रविवार को शाम 5 बजे तक ऑनलाइन किए जा सकेंगे।
आवेदन के लिए लिंक: न्याय मैत्री फैलोशिप (2025-27) – Google Forms
आवेदन के लिए स्कैन करें:

ऑनलाइन परिचय संवाद
विकास संवाद टीम द्वारा तय मानक पर आवेदनों की पहली छंटनी की जाएगी। इसके उपरांत 6 सितंबर, 2025, शनिवार को ऑनलाइन परिचय सत्र रखा जाएगा। इस सत्र में न्याय मैत्री फैलोशिप के स्वरूप, कार्य प्रक्रिया, शोध अनिवार्यता आदि के बारे में बताया जाएगा।
आवेदन के पहले ऑनलाइन मीटिंग: 6 सितंबर, 2025 शनिवार, शाम 5 बजे
ऑनलाइन मीटिंग की लिंक: https://meet.google.com/bnd-fexd-wxc
आवेदकों से चर्चा
ऑनलाइन सत्र के उपरांत ज्यूरी द्वारा तय प्रतिनिधि आवेदकों से चर्चा कर उनक कार्य अनुभव, न्याय मैत्री फैलोशिप के बारे में उनकी समझ, संवैधानिक मूल्यों के आत्मबोध की ललक जैसे बिंदुओं का आकलन करेगा।
ज्यूरी की प्रथम बैठक
ज्यूरी की प्रथम बैठक में आवेदकों से फोन पर हुई के आधार पर तैयार आकलन रिपोर्ट के साथ आवेदकों के अनुभव, भेजी गई खबरों आदि के आधार पर प्रथम चयन किया जाएगा।
ज्यूरी से प्रत्यक्ष चर्चा
ज्यूरी द्वारा तय किए गए चुनिंदा संभावित फेलो को प्रत्यक्ष चर्चा के लिए अंतिम चयन बैठक में भोपाल बुलाया जाएगा। इस चर्चा उपरांत फेलो का अंतिम चयन होगा।
यदि आप …
- आप बेहतर भारतीय नागरिक बनना चाहते हैं…
- संवैधानिक मूल्यों के आत्मबोध और चेतना विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं…
- सामाजिक सरोकारों वाली वकालत की 18 माह की सघन प्रक्रिया से जुड़ना चाहते हैं…
- आप अपनी सोच, समझ और दृष्टि को विकसित करना चाहते हैं…
- आप 18 माह देश के विभिन्न विशेषज्ञों से संवाद करने, उनके मार्गदर्शन में अपने कार्य को अधिक स्पष्ट, अध्ययनपूर्ण, शोधपरक और देशहित में बनाना चाहते हैं…
- आप 18 माह की अवधि में सात शिविरों में शामिल हो कर अपने विकास की राह प्रशस्त करना चाहते हैं…
… तो हम आपका स्वागत करते हैं, आइए और विकास संवाद की स्वयं से समाज तक संवैधानिक मूल्यों को आत्मसात करने की इस यात्रा के सहयात्री बनिए।
हमारा आग्रह है कि आप इस न्याय मैत्री फैलोशिप की जानकारी हर उपयुक्त वकील तक जरूर पहुंचाइए ताकि हम सब मिल कर अपने भारतीय नागरिक होने के बोध को विस्तार दे सके।
आवेदन की अंतिम तिथि: 14 सितंबर, रविवार, शाम 5 बजे तक
आवेदन के लिए लिंक: न्याय मैत्री फैलोशिप (2025-27) – Google Forms
आवेदन के लिए स्कैन करें:

आवेदन के पहले ऑनलाइन मीटिंग: 6 सितंबर, शनिवार, सुबह 11 बजे
ऑनलाइन मीटिंग की लिंक: https://meet.google.com/bnd-fexd-wxc
अधिक जानकारी के लिए देखें: www.samvidhansamvad.org
हमसे संपर्क करें:
मेल आईडी: nyaaymaitri@vssmp.org
पंकज शुक्ला: 9893699941
पूजा सिंह: 9911886828
सचिन कुमार जैन: 9977704847
विकास संवाद के बारे में
विकास संवाद एक सामाजिक शोध, प्रशिक्षण और दस्तावेजीकरण समूह है। विकास संवाद वर्ष 2001 में एक परियोजना के रूप में शुरू हुआ और आज मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में अपने नवाचारी कार्यों के लिए विशिष्ट पहचान पा रहा है। विकास संवाद की सोच व्यापक जनहित से जुड़े मुद्दों को विमर्श में लाकर बदलाव की कोशिश करने की रही है। एक ऐसा बदलाव, जो समाज को गरीबी, शोषण, भेदभाव से बाहर निकालकर सम्मान, बराबरी और न्याय के रास्ते पर खड़ा कर सके। विकास संवाद की कोशिश रहती है कि खांचों में बंध कर बदलाव की पहल न हो; बल्कि सभी विषयों को एक—दूसरे से जोड़कर ही देखा जाए और नजरिये को व्यापक बनाया जाए। बदलाव का सूत्र बाहर के बजाय भीतर से ही अंकुरित हो तो ही प्रक्रिया आगे बढ़ती है, इसलिए केंद्रीयकरण और संस्थागत नियंत्रण से बचने की कोशिश करते हैं। इसी सोच को ध्यान में रखकर यह समूह अध्ययन-विश्लेषण और सामग्री तैयार करने का काम कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन माध्यमों के प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संवाद करते रहना विकास संवाद के काम का मुख्य हिस्सा है। अपनी समझ और सीख के लिए साझेदारी में मैदानी काम भी किया जा रहा है।
हमारे काम को www.vssmp.org और www.samvidhansamvad.org वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
हमारे व्यवहार में यूं प्रदर्शित होते हैं संवैधानिक मूल्य:
- अपनी बातचीत में ऐसे शब्दों और भाषा का उपयोग नहीं करना, जो किसी भी व्यक्ति, समूह या समुदाय की गरिमा को कम करते हों।
- असहमति को सम्मान के साथ स्वीकार करना।
- किसी व्यक्ति, विचार या समुदाय के प्रति पोर्वाग्रह से मुक्त होना।
- समाज में बहुलता है। बहुलता को हर जगह पर देखना, समझना और स्वीकार करना।
- सजगता होना कि धर्म, लिंग या जाति के आधार पर व्यवहार और दृष्टिकोण का निर्धारण न किया जाए।
- परिवार के भीतर श्रम और अलग-अलग भूमिकाओं को जानना, समझना और उनमें शामिल होना। घरेलू श्रम का सजगता से सम्मान करना।
- निजी और पारिवारिक जीवन में छुआछूत, शोषण और हिंसा को कोई स्थान न दिया जाए।
- अपनी पेशेगत भूमिका निभाते हुए, ऐसे काम न करना, जिनसे सामाजिक-साम्प्रदायिक वैमनस्यता बढती हो। यह कौशल विकसित करना कि किसी की भी बात ‘ज्यों की त्यों’ और बिना पूर्वाग्रह के ‘सुनी’ जा सके। बात को सुनना।
- अपने हाव-भावों, शब्दों, स्वर और दृष्टि में विनम्रता का होना।
- अपने जीवन शैली में सहजता का होना।
- न मैं भयभीत होऊं और न कोई मुझसे भयभीत हो।
- मैं अपनी गरिमा का ख्याल रखूँ और मैं ही दूसरों की गरिमा का भी ख्याल रखूं।
- अपने पेशे में यह ध्यान रखना युवाओं को सकारात्मक मार्गदर्शन प्रदान किया जाए। जाति, वर्ण, सम्प्रदाय या लिंग के आधार पर कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष टिप्पणी न की जाए और दुर्भावना पूर्ण व्यवहार न किया जाए।
हमारा लक्ष्य
- दृष्टिकोण में न्याय, समता और समानता
- व्यवहार में गरिमा, करुणा और बंधुता
- प्रक्रिया में सहभागिता और पारदर्शिता
- कार्य में सत्यनिष्ठा और जवाबदेहिता