विश्लेषण/Explanatory
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वाजिब थीं जयपाल सिंह मुंडा की शिकायतें
देश की आज़ादी की लड़ाई के दौर में जहां देश और समाज के सभी प्रमुख मुद्दों पर खुलकर बात की जा रही थी वहीं आश्चर्य की बात है कि आदिवासियों को लेकर बहुत कम बातचीत या विमर्श हो रहा था। भारत को ओलंपिक में हॉकी का पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम के कप्तान रहे आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने इस विषय पर संविधान सभा में जो कुछ कहा वह एक कड़वी हकीकत है।
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26 जनवरी: उन बहसों को याद करने का दिन
26 जनवरी वह दिन है जब 1950 में हमारे देश ने संविधान को अपनाया था और एक गणराज्य के रूप में अपनी नई यात्रा की शुरुआत की थी। उस समय तक देश का शासन भारत शासन अधिनियम के संशोधित स्वरूप के माध्यम से चल रहा था। प्रस्तुत है संविधान सभा की बैठकों के अंतिम सप्ताह के महत्व को रेखांकित करता यह आलेख।
विचार/Opinion

बौद्ध धर्म की दृष्टि में संवैधानिक मूल्य
बाबा साहेब अम्बेडकर संवैधानिक मूल्यों के माध्यम से एक सामंजस्यपूर्ण भारतीय राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे। उन्हें अहसास था कि यदि समाज के अंतर्निहित विरोधाभासों से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा गया तो संविधान के उच्च आदर्श अधूरे रह जाएंगे।
संविधान बोध/Constitution Knowledge
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डॉ. बी. आर. अम्बेडकर और संविधान
संविधान के साथ डॉ. बी. आर. अम्बेडकर का नाम इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि दोनों को एक दूसरे के बिना अधूरा कहा जा सकता है। उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता भी कहा जाता है। अक्सर यह सुनने में आता है कि भारत के संविधान का निर्माण डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने किया। परंतु क्या यह पूरा सच है?
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क्यों जरूरी है संविधान निर्माण की समझ?
आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। संविधान दिवस यानी 26 नवंबर का दिन। सन 1949 में आज ही के दिन हमने अपने संविधान को अपनाया था। वही संविधान जो वर्षों तक चली बैठकों, सघन बहसों और वाद-विवाद के बाद हमारे सामने आया था।
संविधान गाथा / Story of the Constitution
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14 अगस्त 1947: आधी रात की आज़ादी और संविधान सभा
चौदह अगस्त 1947 की मध्य रात्रि देश आज़ाद हुआ। यह दो सदियों की लंबी गुलामी के बाद मिली आज़ादी थी। एक नया दिन आने को था। अंधकार से भरी दो सदियों के बाद स्वतंत्रता का सूर्य उदय हो रहा था। वह दिन भारत की संविधान सभा के लिए भी महत्वपूर्ण था।
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बाइस जुलाई: तिरंगे को अपनाने का दिन
भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को औपचारिक रूप से तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। 23 जुलाई को इसे पहली बार औपचारिक रूप से फहराया गया। राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण की पूरी कहानी बहुत दिलचस्प है। 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन के पहले देश की विभिन्न रियासतों और राज्यों के अपने-अपने ध्वज थे। विडंबना ही है कि संपूर्ण भारत को उसका पहला ध्वज साम्राज्यवादी अंग्रेजी शासन ने दिया। नीले रंग के इस झंडे में बांयी ओर ऊपर यूनियन जैक बना था जबकि दाहिने हिस्से के बीच में ब्रिटिश क्राउन में स्टार ऑफ इंडिया का चित्र बना था।
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देश का विभाजन, संविधान और नेहरू
ऐतिहासिक प्रमाणों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत उस दौर के सभी प्रमुख नेता भारत के विभाजन को टालना चाहते थे। परंतु हालात के मुताबिक वे सभी इसे लेकर अलग-अलग नज़रिया भी रखते थे। कुछ मसलों पर न तो सहमति बन पा रही थी और न ही असहमति। मुस्लिम लीग को स्वतंत्र भारत में सरकार बनाने का आमंत्रण भी ऐसा ही एक मसला था।
आंखों देखी/Ground Report
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चिकित्सा का पेशा और जाति का जहर
संविधान भले ही समता और समानता की बात कहता है लेकिन आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो जाति के आधार पर दूसरों से भेदभाव करते हैं…
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आलोक का सपना और हमारा संविधान
देश के कई प्रतिभाशाली बच्चों की प्रतिभा उचित अवसर और संसाधनों के अभाव में दम तोड़ देती है। वह हमारा संविधान ही है जो सभी नागरिकों को समान अवसर देता है…
तथ्य-कथ्य / Facts and Rationale
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पिट अधिनियम के साथ मद्रास और बम्बई में भी हुई गवर्नर परिषद की स्थापना
उपनिवेशकाल से लेकर स्वतंत्रता तक, भारत किन-किन विधानों/कानूनों के उतार-चढ़ावों से गुजरा है यह जान कर हम संविधान के निर्माण प्रक्रिया तथा उसके महत्व को बूझ पाएंगे…

एक अधिनियम जिसने दी मिशनरी को भारत आने की इजाजत
जब संविधान बन रहा था, तब आर्थिक, राजनीतिक-सामाजिक, कूटनीतिक तमाम संदर्भों में बेहद कठिन हालात थे। उपनिवेशकाल से लेकर स्वतंत्रता तक…
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भारत का शासन चलाने के लिए ब्रिटिश संसद ने बनाया पहला कानून
उपनिवेशकाल से लेकर स्वतंत्रता तक, भारत किन-किन विधानों/कानूनों के उतार-चढ़ावों से गुजरा है यह जान कर हम संविधान के निर्माण प्रक्रिया तथा उसके महत्व को…